Tuesday, March 1, 2016
Quantum Computer Kiya hai-What is Quantum Computer?
परंपरागत कम्प्यूटर की सीमाओं के कारण होने वाली परेशानियों से छुटकारा
पाने के लिए क्वांटम कम्प्यूटर की आवश्यकता के बारे में सर्वप्रथम रिचर्ड
फिनमैन नामक वैज्ञानिक ने 1981 में अपना तथ्य प्रस्तुत किया। वर्ष 1985 में
डेविड डाउच के इसकी सैद्धांतिक संरचना का विकास किया। ऐसे कम्प्यूटर के
सामने एक सेकेड़ में 1000 खरब बार ऑन व ऑफ होने वाले परंपरागत कंम्प्यूटर भी
सामान्य लगेंगे।
इसी से इनकी स्मरण-क्षमता का पता चल जाता है। जहां तक परंपरागत कम्प्यूटर
का प्रश्न है तो ये 1 तथा 0 की सहायता से ही सारी गणनाएं निपटाते हैं, जबकि
क्वांटम कंम्प्यूटरों में ऐसा नहीं होता है। इनमें क्वांटम यांत्रिकी का
उपयोग होता है। इनमें समस्त कम्प्यूटेशनल मार्ग एक अकेले हार्डवेयर में
लिया जाता है, जो कि इनकी सबसे बड़ी विशेषता होती है।
इस मार्ग में क्वांटम यांत्रिकी के अनुसार सुपरपोजीशन होता है, जिसके तहत
अनावश्यक अंश धनात्मक व ऋणात्मक होकर समाप्त हो जाते हैं तथा गणना के लिए
सिर्फ आवश्यक अंक ही बच जाते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में कठिनाई यह है कि
कई बार अनावश्यक व्यावधानों से गणना के लिए सिर्फ आवश्यक अंक ही बच जाते
हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में कठिनाई यह है कि कई बार अनावश्यक व्यावधानों
से गणना सीधी दिशा में नहीं चलकर वापसी की ओर चलने लगती है। अतः क्वांटम
कम्प्यूटर में इसका ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि यदि इसमें अनावश्यक अंश
प्रभावी हो गए, तो फिर आवश्यक अंक की गणना में इसकी उपयोगिता ही समाप्त हो
जाएगी। लेकिन परंपरागत कम्प्यूटरों में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि इनमें 1
और 0 को ही प्रभावशाली बनाया जाता है। गणना में अनावश्यक अंश न आने पाए
इसके लिए ऊर्जा स्तरों में स्पष्टता होनी चाहिए।

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Bahut acche
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